रोटरी क्लब जालोर द्वारा थैलेसीमिया हीमोफिलिया रक्तदान जागरूकता अभियान में 21 यूनिट रक्तदान

रोटरी क्लब जालोर द्वारा थैलेसीमिया हीमोफिलिया रक्तदान जागरूकता अभियान में 21 यूनिट रक्तदान

जालोर. रोटरी क्लब जालोर द्वारा थैलेसीमिया हीमोफिलिया रक्तदान जागरूकता अभियान के अंतर्गत आमजन को जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.मुकेश चौधरी ने बताया कि थैलेसीमिया ब्लड का गंभीर आनुवंशिक डिसआर्डर है, इसमें बच्चे में बचपन से ही ब्लड बनना बंद हो जाता है, इससे पीड़ित को हर 3 से 6 महीने में ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ब्लड न चढ़ने पर बच्चे की मौत तक हो सकती है।

विज्ञापन

बताया कि यदि माता या पिता दोनों ही सिंगल जीन माइनर रहें तो उन्हें ये बीमारी नहीं होती है। इसे बीटा थैलेसीमिया कहा जाता है. मगर माता-पिता दोनों के माइनर जीन ही बच्चे में आ जाये तो ये कंडीशन थैलसीमिया मेजर की होती है। इसी में ब्लड बनना बंद हो जाता है। जन्म के 6 महीने में पता चल जाता है कि बच्चे की बॉडी में हीमोग्लोबिन नहीं बन पा रहा है।मेजर थैलेसीमिया मरीजों को कम उम्र में डायग्नोसिस किया जाता है, उन्हें आजीवन ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है। इस वजह से उनके जीवन जीने की उम्र कम हो जाती है। जबकि माइनर थैलेसीमिया मरीजों मे केवल एनीमिक स्थिति नज़र आती है।राजकीय नर्सिंग महाविद्यालय के प्राचार्य एवं रोटरी के पूर्व सहायक प्रांतपाल डॉ.पवन ओझा ने बताया कि थैलेसीमिया की जल्दी पहचान एवं निदान के लिए टेस्टिंग पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके अलावा इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना अतिआवश्यक है।'

विज्ञापन

भारत को दुनिया में  “थैलेसीमिया की राजधानी” कहा जाता है क्योंकि यहाँ विश्व में थैलेसीमिया के सर्वाधिक मरीज हैं ।भारत में प्रतिवर्ष थैलेसीमिया से ग्रस्त 10,000 बच्चे जन्म लेते  हैं, जिनमें इस बीमारी की पहचान उनके जन्म से 3 महीने बाद संभव हो पाती है ।थैलेसीमिया खून से जुड़ी एक बीमारी है, जो माता-पिता से उनके बच्चों तक पहुंचती है। रोटरी अध्यक्ष विनीता ओझा ने बताया कि आज भी इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच कई तरह के मिथक मौजूद हैं। ऐसे में लोगों तक इस बीमारी की सही जानकारी पहुंचाने और इसके प्रति दुनियाभर में जागरुकता फैलाने के मकसद से रोटरी क्लब सहित संस्थाओं द्वारा समय समय पर इस प्रकार की कार्यशालाएं और जागरूकता रैली और रक्तदान कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। प्राचार्य डॉ.पवन ओझा द्वारा मुख्य वक्ता डॉ.मुकेश चौधरी एवं रोटरी अध्यक्ष विनीता ओझा को स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया ।इस दौरान रोटरी सदस्यों एवं नर्सिंग विद्यार्थियों द्वारा 21 यूनिट रक्तदान किया गया ।रोटरी सचिव मंजू चौधरी ,वरिष्ठ रोटेरियन तरुण सिद्धावत,संजय सुंदेशा, हेमेन्द्रसिंह बगेड़िया,दिनेश सुंदेशा, शीला चौधरी,मेनका गुप्ता,ओमप्रकाश चौधरी,बसंत ओझा सहित सदस्य मौजूद रहे ।