राजस्थान में एसीबी ने भ्रष्टाचारियों का चेहरा और नाम छिपाने वाला आदेश लिया वापस, सरकार के ही मंत्रियों ने किया था विरोध

राजस्थान में भ्रष्टाचारियों का चेहरा और नाम छिपाने वाले एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के ऑर्डर को वापस ले लिया गया है। शुक्रवार शाम को एसीबी के डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने नया आदेश जारी कर दिया है। हेमंत प्रियदर्शी ने 2 दिन पहले भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों को ट्रैप करने के नाम-फोटो जारी नहीं करने के ऑर्डर जारी किए थे।

राजस्थान में एसीबी ने भ्रष्टाचारियों का चेहरा और नाम छिपाने वाला आदेश लिया वापस, सरकार के ही मंत्रियों ने किया था विरोध

डेस्क न्यूज़- राजस्थान में भ्रष्टाचारियों का चेहरा और नाम छिपाने वाले एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के ऑर्डर को वापस ले लिया गया है। शुक्रवार शाम को एसीबी के डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने नया आदेश जारी कर दिया है। हेमंत प्रियदर्शी ने 2 दिन पहले भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों को ट्रैप करने के नाम-फोटो जारी नहीं करने के ऑर्डर जारी किए थे। एसीबी ने कोर्ट के फैसले को आधार बनाकर नाम और फोटो सार्वजनिक नहीं करने का आदेश दिया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कभी भ्रष्टाचारियों का नाम छिपाने का कोई आदेश जारी किया ही नहीं था। एसीबी के डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने जिस आदेश का हवाला दिया था इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहीं नहीं कहा कि घूसखोर की पहचान छिपानी चाहिए।

खाच​रियावास ने जताया था विरोध

एसीबी के आदेश के खिलाफ खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा था- मेरा यह मानना है कि डीजी ने एंटी करप्शन ब्यूरो का चार्ज लेते ही जो ऑर्डर निकाला, वह ऑर्डर रिजेक्ट होने वाला ही है। मैं उस ऑर्डर से सहमत नहीं हूं। कोई भी कांग्रेस का विधायक, मंत्री इस तरह की कार्रवाई का समर्थन नहीं करेगा। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क्या इस तरीके के डीजी के ऑर्डर को मान सकते हैं? खाचरियावास ने कहा था कि सरकार इस तरह के ऑर्डर के साथ नहीं है। यह बिल्कुल गलत है। हम कोई ऐसा काम नहीं करेंगे, जिससे हमारे पूरे किए हुए काम पर पानी फिर जाए, हमने कांग्रेस सरकार की नीयत आपको बता दी।

अफसरों को झूठा फंसाया जाता है- सीएम

अशोक गहलोत ने कहा- कई मामले ऐसे होते हैं, जिसमें अफसर को झूठा फंसाया जाता है। उसे बदनामी का सामना नहीं करना पड़े, इसलिए ऐसा किया जा रहा है कि जब तक यह साबित न हो जाए कि उसने भ्रष्टाचार किया है, उसकी पहचान गुप्त रखी जाए। यह सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों का फैसला है।

भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान जारी नहीं करने के दिए थे आदेश

विवादित आदेश में साफ किया गया है था कि जब तक आरोपी पर अपराध सिद्ध नहीं हो जाता, तब तक उसकी फोटो और नाम मीडिया में या किसी अन्य व्यक्ति को नहीं दिया जाएगा। साथ ही, जिस भी आरोपी को पकड़ा जाएगा, उसकी सुरक्षा और मानवाधिकार की जिम्मेदारी ट्रैप करने वाले अधिकारी की रहेगी।

न्यूज़ सोर्स- दैनिक भास्कर

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