संदिग्धों के विरोधाभासी बयान ही गिरफ्तारी के बन सकते हैं ठोस आधार, नार्को के नाम पर पुलिस की देरी समझ से परे?
- मांडोली के गणपतसिंह राजपूत हत्याकांड मामला
जालोर. जिले के रामसीन थाना क्षेत्र के मांडोली के गणपतसिंह राजपूत की अगस्त 2024 में हुई हत्या के बाद विभिन्न स्तर पर किए गए अनुसन्धान में अंत में पुलिस ने तीन को संदिग्ध तो मान लिया, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया, जबकि उनके नार्को व पॉलीग्राफ के लिए न्यायालय प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें संदिग्धों ने असहमति दे दी, जिस कारण मामले में देरी हो गई। लिहाजा दिवंगत गणपतसिंह की 80 वर्षीय को परिवार समेत भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा। 17 नवम्बर को शुरू हुई भूख हड़ताल को सात दिन पूरे हो गए, लेकिन पुलिस की जांच में कुछ नया नहीं मिला।

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सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस व्यक्ति को पुलिस ने अनुसन्धान में मुख्य संदिग्ध माना उसके बयान व अन्य दोनों के बयान प्रथक पूछताछ में विरोधाभासी आए है, प्रारम्भिक दृष्टि से विरोधाभासी बयान के आधार पर पुलिस थोड़ी मेहनत और करती तो उनकी गिरफ्तारी सम्भव हो सकती थी, लेकिन पुलिस ने इसकी बजाय नार्को की प्रक्रिया अपनानी शुरू कर दी, जिनकी सहमति मुख्य संदिग्ध ने नहीं दी।
मुख्य संदिग्ध पहले से पुलिस को करता रहा गुमराह
घटना के बाद पुलिस ने इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए छानबीन शुरू की, इस दौरान गांव के एक व्यक्ति ने पुलिस को कई नाम बताए, जिनसे पुलिस कठोरता से पूछताछ करती रही। यहां तक कि घटना के दिन गांव में एक शादी समारोह के दूल्हे को भी बुलाकर सख्त पूछताछ की, लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं लगा। जब जांच सांचौर के सहायक पुलिस अधीक्षक आईपीएस गोपीनाथ शरण काम्बले के पास आई तो जो व्यक्ति अन्य से पूछताछ के लिए दबाव दे रहा था, सुई अंत में उसी पर आ अटकी, उससे जब प्रथक रूप से बयान लिए तो उसके बयान विरोधाभासी पाए गए। पुलिस इतना तो मान गई कि उक्त व्यक्ति पुलिस को गुमराह करता रहा, लेकिन उसकी गिरफ्तारी कैसे की जाय, इसके लिए पुलिस ने नार्को के लिए न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर मुख्य संदिग्ध ने असहमति दे दी।
नार्को नहीं करवाने का तर्क भी अजीब
पुलिस ने तीन जनों को संदिग्ध मानते हुए न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया, पहले दो संदिग्ध ने सहमति दी, लेकिन तीसरे के हां की शर्त रख दी, तीसरे मुख्य संदिग्ध ने न्यायालय में असहमति जताते हुए कहा कि मैं किसी भी प्रकार का नशा नहीं करता, इसलिए मेरे नार्को टेस्ट से कोई शारीरिक नुकसान होता है तो इसकी भरपाई कौन करेगा, पुलिस पहले दो करोड़ रुपए मेरे परिवार को सहायता देने की गारंटी ले तो मैं नार्को टेस्ट को तैयार हूं।

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इस प्रकार की शर्त को देखते हुए नार्को की प्रक्रिया रुक गई। उसके बाद काम्बले की ट्रांसफर हो गई, पुलिस ने मामले में ढील दे दी, अब परिवार ने भूख हड़ताल शुरू की तो फिर से पुलिस नार्को प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आश्वाशन देने लग गई, लेकिन सात दिन में कार्यवाही "ढाक के तीन पात तक" कहावत बनी हुई है।
भीनमाल विधायक लगाएंगे हाइकोर्ट में रिट
भूख हड़ताल पर बैठी दिवंगत गणपतसिंह की 80 वर्षीय माता से मिलने रविवार को भीनमाल विधायक डॉ समरजीतसिंह पहुंचे। उन्होंने परिवार को हरसम्भव सहयोग का भरोसा दिया, साथ ही परिवार की सहमति लेकर हाईकोर्ट में रिट लगाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इतना समय बीतने के बाद संदिग्ध को गिरफ्तार करने में देरी करना पुलिस की विफलता दर्शाता है। इस दौरान आसुराम देवासी, महेंद्रसिंह, योगेंद्रसिंह कुम्पावत, पीरसिंह, ईश्वरसिंह, भागीरथ गोदारा समेत कई लोग साथ थे।