सुप्रीम कोर्ट द्वारा 90 हजार निर्णयों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करना ऐतिहासिक कदम - जयदीप रॉय 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 90 हजार निर्णयों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करना ऐतिहासिक कदम - जयदीप रॉय 
  • न्यायिक क्षेत्र में भारतीय भाषाओं के अच्छे दिनों के शुभ संकेत- जयदीप रॉय 
  • भोपाल में भारतीय भाषा अभियान के तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन 
  • कार्यशाला में जालोर के अधिवक्ता भी हुए सहभागी

जालोर. न्यायिक क्षेत्र में भारतीय भाषाओं का उपयोग बढ़ना देश के लिए शुभ संकेत हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गंवई ने हिंदी में शपथ ली है। यह भारतीय भाषाओं के लिए अच्छा संकेत होने के साथ प्रेरणादायक भी है। यह विचार भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जयदीप राय ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और देश के कई पूर्व एवं वर्तमान न्यायाधीशों ने भी विधि शिक्षा में भारतीय भाषाओं को महत्व देने पर अपने विचार रखे है। वहीं केरल हाईकोर्ट द्वारा भारतीय भाषाओं के उपयोग को कल्चरल हेरिटेज माना है, यह भी भारतीय भाषा के सुखद है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारतीय भाषाओं के लिए कमेटी का गठन और एआई के माध्यम से हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में 90 हजार से अधिक निर्णयों का अनुवाद भी ऐतिहासिक कदम है।

वरिष्ठ अधिवक्ता रॉय भारतीय भाषा अभियान एवं पीपुल्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ लीगल स्टडी के संयुक्त तत्वावधान में "न्यायालय में एवं विधि शिक्षा में भारतीय भाषाओं का प्रयोग" विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। 

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भोपाल में सम्पन्न न्यायिक क्षेत्र की राष्ट्रीय कार्यशाला से भाग लेकर लौटे जालोर के अधिवक्ता अश्विन राजपुरोहित ने बताया कि कार्यशाला में जालौर सहित देश के विभिन्न प्रांतों से 100 से अधिक अधिवक्ताओं और प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने सहभागिता की। 

कार्यशाला के समापन सत्र में भारतीय भाषा अभियान की ओर से किए गए कार्य एवं आगामी कार्य योजना की जानकारी देते हुए जयदीप रॉय ने कहा कि भारतीय भाषा अभियान के कार्य को व्यापक गति देने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें युवा अधिवक्ताओं और बार एसोसिएशन को साथ लेकर भारतीय भाषाओं के लिए संयुक्त रूप से कार्य करने की दिशा में प्रयास करने होंगे।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक ए. विनोद ने कहा कि संविधान में की प्रस्तावना में फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन लिखा है, लेकिन न्याय क्षेत्र में व्यक्ति को अपनी भाषा में न्याय प्राप्त करने और अपनी बात रखने की स्वतंत्रता अब तक नहीं है। इस स्थिति में परिवर्तन करने की आवश्यकता है । न्याय तंत्र में परिवर्तन लाने के लिए हमें दो कार्य करने होंगे, समाज में इस सम्बंध में जागरूकता का वातावरण तैयार करना और दूसरा विमर्श निर्माण करना होगा।

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 पीपुल्स यूनिवर्सिटी के विधि विभाग के प्राचार्य डॉ. रविकांत गुप्ता ने कहा कि यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है कि जिस देश में हम रह रहे है उसमें आजादी के 75 साल बाद भी भारतीय भाषा में न्याय के लिए हमें संघर्ष करना पड़ रहा है। समापन सत्र से पूर्व आयोजित सत्र में अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय मंत्री विक्रम दुबे, कर्नाटक से लक्ष्मीनारायण हेगड़े, संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सुरेश गुप्ता, भारतीय भाषा अभियान काशी प्रांत के संयोजक अजय कुमार मिश्रा ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में भारतीय भाषा अभियान के संरक्षक अशोक मेहता का संदेश वाचन किया गया। वहीं अमित झा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी, न्यास के राष्ट्रीय सह संयोजक संजय स्वामी, हिंदी ग्रंथ अकादमी के डॉ. अशोक पटेल, जबलपुर विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा, मोहनलाल कोरी, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राघवेंद्र शुक्ल, प्रो. अनुराग दीप, उड़ीसा प्रांत से संतोष द्विवेदी, बृजेन्द्र ढुल्ल, किशन कुमार शर्मा, मनंजय मिश्रा, राम पाण्डेय, विकेश त्रिपाठी, कृष्णकांत द्विवेदी, जोधपुर प्रांत से एडवोकेट अश्विन राजपुरोहित, प्रवीण घांची, समीर पारीक समेत विभिन्न प्रांतों से विद्वतजन उपस्थित रहे। मंच संचालन निवेदिता पाण्डेय, विवेक भास्कर और शिखा चौहान ने किया। 

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मनमोहा

कार्यशाला में लोकगीत एवं लोक परंपरा पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें चहेती मेहता ने कत्थक नृत्य, संतोष कुमार ने उड़िया भाषा में गीत, पीपुल्स यूनिवर्सिटी की छात्राओं ने राधा-कृष्णा का वेश धरकर शानदार नृत्य की प्रस्तुति देकर वाहवाही बटोरी। इसी तरह कर्नाटक से आए प्रतिभागियों ने स्थानीय भाषा में प्रस्तुति देकर समाँ बांध दिया। गजेंद्र आर्या ने भीली भाषा में गीत, कमलेश कुमार ने गीत एवं तरुण कुमार ने गीत पेश किया। वहीं ओसी डांस ग्रुप की ओर से प्रस्तुत महाराष्ट्र का प्रसिद्ध गोंधल सामूहिक नृत्य पर पूरा सभागार गूंज उठा।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का पूर्व अभ्यास भी

राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रातः काल की वेला में योगाभ्यास किया गया। योगाभ्यास द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की भी पूर्व तैयारी की गई।