जालोर दुर्ग को यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने तथा रोप-वे का निमार्ण करने को लेकर सांसद चौधरी ने लोकसभा में उठाया मुद्दा

जालोर दुर्ग को यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने तथा रोप-वे का निमार्ण करने को लेकर सांसद चौधरी ने लोकसभा में उठाया मुद्दा

जालोर. जालोर का किला एक हजार साल का एतिहासिक वैभव समेटे हुए हैं। किला का निमार्ण 10 वीं शताब्दी में हुआ। इस किला से स्थापत्य कला का सौन्दर्य झलकता हैै। यह राज्य सरकार के पुरातत्व विभाग की धरोहर है एवं वर्ष 1956 से संरक्षित स्मारक है। 

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जालौर के राजकुमार वीरमदेव चौहान अलाउद्दीन खिलजी के साथ युद्ध में 40 से भी अधिक तलवारें तोड़ दी थीं और अलाउद्दीन खिलजी के 500 से अधिक सैनिकों को अकेले ही मार दिया था। और आखिरकार खुद वीरगति को प्राप्त हो गए। उस समय राजकुमार वीरमदेव चौहान की उम्र मात्र 22 वर्ष की ही थी।

आज इस किले को विकास की आवश्यकता है, इस किले तक पहुंचने के लिए करीब 2 हजार सीढ़ियां हैं। वर्ष 2017-18 में राजस्‍थान में विरासत परिपथ के विकास के लिए परियोजना को स्‍वीकृति प्रदान करते हुए भारत सरकार जालोर किले तक रोप-वे के निर्माण हेतु 8.82 करोड़ रुपये की राशि की मंजूरी दी गई थी। जिसमें से 7 करोड़ रुपए रोप-वे के निर्माण में व्यय किए जाने है। शेष राशि को पर्यटन सुविधा केंद्र धरातल पार्किग, सीढिय़ों, रेलिंग, पेयजल, स्वच्छता, बैठने के लिए बेंच आदि पर व्यय किया जाना है। हालांकि उक्त कार्य को निधि के जारी होने की तिथि से अगले 18 महीने में पूरा किया जाना था, लेकिन दुभाग्‍यवश 8 सालों का समय बीत जाने के बावजूद इस पर निर्माण कार्य आरंभ नहीं किया गया है।

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जालोर किला को यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची मे शामिल करने तथा किले तक पर्यटकों की पहुंच आसान करने के लिए जल्द से जल्द रोप- वे का निमार्ण शुरु किया जाए।