बागरा में सुथार समाज की 150 महिलाओं ने निभाई तालाब हिलोरने की रस्म

- हरियाली तीज पर बागरा में 20 साल बाद पुनर्जीवित हुई परंपरा
- भाई-बहन ने निभाई सामाजिक व सांस्कृतिक जिम्मेदारी
देवेन्द्रराज सुथार / बागरा. कस्बे में रविवार को सुथार समाज द्वारा करीब 20 साल बाद तालाब हिलोरने की रस्म निभाई गई। इसके चलते बड़ी संख्या में जन सैलाब उमड़ पड़ा। ढोल बाजों की धुन के साथ सिर पर कलश धारण किए महिलाएं, पुरुषों के सिर पर केसरिया साफा, मंगल गीत गाती महिलाएं और बढ़ते कदम इसी तरह के नजारे इस दौरान दिखे। वहीं सालों का बेसब्री का इंतजार खत्म होने की खुशी भी लोगों में दिखी।
बड़ी संख्या में यहां भाई बहनों का रैला उमड़ पड़ा। जहां विधि विधान से भाई ने बहन का मटका हिलोरा। तालाब का पानी पिलाया और चुनरी ओढ़ाकर गूंगरी मात्तर खिलाई तथा एक दूसरे की रक्षा करने की कसम खाई। इस दौरान मौजूद लोगों ने तालाब की सात परिक्रमा लगाई।
समाजसेवी भंवरलाल सुथार ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह रस्म सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं को जोड़ने की एक मजबूत कड़ी है। 20 साल बाद इसका पुनः आयोजन समाज को अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रतीक है। आने वाली पीढ़ियों को यह परंपरा हस्तांतरित करना हमारा दायित्व है।
विज्ञापन