अमर शहीद प्रतापसिंह बारहट जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई

- समाज सेवा शिविर के दौरान अमर शहीद की जीवनी पर आधारित निबंध प्रतियोगिता आयोजित
जालोर. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दयालपुरा में समाजसेवा शिविर में महान क्रांतिकारी अमर शहीद प्रतापसिंह बारहट जयंती कार्यक्रम समारोहपूर्वक सम्पन्न हुआ। समाजसेवा शिविर में महापुरुषों की जयंती कार्यक्रम के अंतर्गत क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहट के पुत्र प्रतापसिंह बारहट की जयंती और पुण्यतिथि मनाई गई।
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प्रधानाचार्य नीबसिंह देवल ने वीर शहीद की तस्वीर पर माल्यार्पण कर तथा राजस्थान मरुधर बैंक मैनेजर नवीन शर्मा, संस्कार विद्यालय के संस्थाप्रधान राजेश जांगिड़ ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समारोह में विद्यार्थियों किशोर कुमार दिव्या कुमारी,अरुणा कुमारी, खुश्बू कंवर , लक्ष्मी कुमारी कुम कंवर, पार्वती कुमारी ने अपने विचार प्रकट किए।
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अध्यापक गिरिराज सिंह ने प्रतापसिंह बारहट के जन्म देवखेड़ा (शाहपुरा) में होने से बरेली जेल में शहिद होने तक के समय पर विस्तार से प्रकाश डाला। महीपालसिंह करनोत ने कहा कि मेवाड़ घराने का गौरव अक्षुण्ण रखने में ऐसे परिवार का बड़ा योगदान रहा। महाराणा फतेहसिंह द्वारा अंग्रेजों के समय दिल्ली दरबार में उपस्थिति से पूर्व केसरीसिंह बारहट के "चेतावनी रा चुंघटिया" के 13 सोरठो पढ़े और अंग्रेजी दरबार में शामिल हुए बिना वापस आ गए।। शिविर प्रभारी नरेंद्र बोस ने केसरीसिंह, जोरावरसिंह सहित स्वतंत्रता सेनानी परिवार के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत का आजादी के संघर्ष में बारहट परिवार का योगदान अतुलनीय है। दलनायक शिक्षक माधुसिंह बालोत ने कहा की भगतसिंह के क्रांतिकारी गुरू शचींद्रनाथ सान्याल अपनी पुस्तक बंदी जीवन में लिखते है कि उन्होंने क्रांति प्रताप से सीखी है । प्रतापसिंह बारहट थे जिन्होंने 24 मई 1893 को जन्म लेकर 24 मई 1918 को उत्तर प्रदेश की बरेली जेल में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।कार्यक्रम सहयोगी नवीन शर्मा रहे।
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प्रधानाचार्य नीबसिंह देवल ने बच्चों को ऐसे वीर के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। रोवे तो रोवै भला,तोडू कोनी रीत जननी सूं ज्यादा मने,जलम भौम सूं प्रीत" महान क्रांतिकारी प्रताप ने बरेली जेल में जांच अधिकारी सर क्लीवलैंड द्वारा उनकी माता के रोने याद करने की बात पर कहा था कि " मैं अपनी माता को हंसाने के लिए हजारों माताओं को रुलाना नहीं चाहता। समारोह में प्रधानाध्यापक लक्ष्मणदान,गणपतलाल जीनगर व्याख्याता,किरण चौधरी, मणिदान चारण,वरिष्ठ सहायक, रमेशकुमार बोस सहित मानिंद लोग तथा पूर्व विद्यार्थी उपस्थित रहे।