जालोर में टैगोर एजुकेशन ग्रुप की हुई एंट्री, 52 बीघा में फैले वीआर गुरुकुल स्कूल का हुआ शुभारम्भ

जालोर में टैगोर एजुकेशन ग्रुप की हुई एंट्री, 52 बीघा में फैले वीआर गुरुकुल स्कूल का हुआ शुभारम्भ

दिलीप डूडी, जालोर. राजस्थान के प्रसिद्ध टैगोर एजुकेशन ग्रुप की अब जालोर में भी एंट्री हो गई है। जालोर जिला मुख्यालय के समीप सांकरणा क्षेत्र में कानिवाड़ा मोड़ के पास शुक्रवार को वीआर गुरुकुल स्कूल का शुभारंभ किया गया है। सारणेश्वर धाम सरत के शंकर स्वरूप महाराज, लेटा महंत रणछोड़ भारती महाराज, भैरुनाथ अखाड़े के ईश्वरनाथ महाराज समेत सन्तों व प्रबुद्ध जनों की उपस्थिति में इस स्कूल का शुभारंभ हुआ।

टैगोर ग्रुप के चेयरमैन पूर्णसिंह रणवा ने बताया कि वर्षों नागौर के कुचामनसिटी समेत राजस्थान के विभिन्न जिलों में संचालित टैगोर एजुकेशन ग्रुप से पढ़कर कई विद्यार्थी ऑफिसर, तकनीकी शिक्षा, खेल व सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ग्रुप में करीब 40 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत है, इसी अनुभव के आधार पर हम दावा करते है कि किसी कमजोर बच्चे को भी हम जीनियस बना सकते है। ग्रुप निदेशक झाबरसिंह चाहर ने कहा कि इस वर्ष शुरुआत हो रही है, लेकिन आप सब के सहयोग से एक दिन वट वृक्ष बनेगा।

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हम यहाँ शिक्षा के साथ संस्कार का भी निर्माण करते है। ग्रुप के सुल्तानसिंह ने बताया कि शिक्षा हर स्कूल में दी जाती है, लेकिन देने का जो तरीका होता है वो उसे अलग बनाता है।

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प्राचार्या ने दिलाया भरोसा

इस स्कूल प्राचार्या शुभांगी ने सम्बोधन में कहा स्कूल का मैनेजमेंट कई वर्षों का अनुभव रखता है, इसलिए यहां बच्चों को शिक्षा देने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं आएगी। हम प्रतिभाओं को निखारने का काम करेंगे। इस दौरान प्रसिद्ध गणितज्ञ प्रोफेसर डॉ आशीष शर्मा ने यहां गणित की विजिनरी समझाई। साथ ही कहा कि यहां के वातावरण में बच्चों को सीखने की ललक है, उन्हें उचित मंच की जरूरत थी।

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52 बीघा में फैला है स्कूल परिसर

वीआर गुरुकुल स्कूल पूरी तरह से डिजिटल व वातानुकूलित है। करीब 52 बीघा क्षेत्र में फैले इस स्कूल परिसर में कुछ कन्स्ट्रक्शन बाकी है, लेकिन इसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। स्कूल में एडमिशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विज्ञान के लेब स्थापित किये जा रहे हैं। शुभारम्भ कार्यक्रम में भारतीय किसान संघ के रतनसिंह, खीमसिंह, चक्रवर्तीसिंह, दलपतसिंह राजपुरोहित, रविंद्रसिंह बालावत, लालसिंह गोविंदला, सुमेरसिंह धानपुर, चन्दनसिंह कोराना, प्रेम जाखड़, बंशीधर समेत बड़ी संख्या में जालोरवासी मौजूद रहे।