पंचायतीराज मंत्रालयिक कर्मचारियों ने पुकार पद यात्रा निकालकर सरकार को चेताया

पंचायतीराज मंत्रालयिक कर्मचारियों ने पुकार पद यात्रा निकालकर सरकार को चेताया

जालोर. पंचायती राज मंत्रालयिक कर्मचारी संघ ने बुधवार को पुकार पद यात्रा निकालकर मुख्यमंत्री के नाम जालोर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि वित्त विभाग के नॉर्मस अनुसार अपने कैडर रिव्यू और कार्य-विभाजन की मांग तथा 12 वर्ष पश्चात भी बार-बार दस्तावेज सत्यापन तथा दमनात्मक कार्यवाही के विरोध में बुधवार को जिला मुख्यालयों पर मंत्रालयिक कर्मचारियों ने पुकार पदयात्रा निकाली। हॉस्पीटल चौराहा से जिला कलक्टर कार्यालय तक बड़ी संख्या में मंत्रालयिक कर्मचारियों ने तख्तियों के साथ पुकार पदयात्रा निकाली। काफी संख्या में महिला कर्मचारी भी इस पदयात्रा में शामिल हुई।

जिले के सैकडों मंत्रालयिक कर्मचारी विगत 15 दिवस से सरकार के विविध स्तरों पर ध्यानाकर्षण कार्यक्रम कर रहे हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि जब-जब पंचायतीराज संस्थाओं के मंत्रालयिक कर्मचारियों का कोई हितसाधक निर्णय होने प्रत्याशित होता है, तभी संवर्ग विशेष के लोगों द्वारा फेक एवं कूटरचित शिकायतें सरकार के समक्ष करते हुए जॉचें प्रारम्भ करा दी जाती है। शिकायत में मुख्यतः मध्यप्रदेश के सरकारी माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के प्रमाण पत्रों को ही अमान्य बताये जाने की चेष्टा की जा रही है, तबकि उस विश्वविद्यालय के कुलपति भारत के उपराष्ट्रपति हैं।

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इन कर्मचारियों की संविदा सेवा के दौरान स्वयं सरकार ने इनको सरकारी खर्चे पर स्किल बढ़ाने के लिए आर०एस०सी०आई०टी० कोर्स कराया, उसे ही अनुभव के साथ ऑवरलेंपिंग के नाम से डराया जा रहा है। कर्मचारियों में आक्रोश है कि किसी संवर्ग विशेष की शह पर एक षडयंत्र के तहत पूरे 16 हजार के केडर को फर्जी साबित करने में तुले है।

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पंचायती राज मंत्रालयिक कर्मचारी संगठन का कहना है कि सरकार के समस्त मंत्रियों से लेकर सरकार के एम०एल०ए० और अन्य उच्च स्तर के जनप्रतिनिधि जब पंचायती राज विभाग की यह कार्यवाही गलत मान रहे हैं, फिर भी स्वयं पंचायती राज विभाग क्यों मौन साधे बैठा है। संगठन का कहना है कि अभी तक सांगठनिक कार्यक्रमों के तहत हमने सरकार का ध्यानाकर्षण करा सरकार के ही प्रतिनिधियों का समर्थन जुटाया है, अब भी पंचायती राज विभाग नहीं चेता तो हम बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगें।

कर्मचारियों की ये है मांगे

1. मंत्रालयिक नेतृत्व पर दमनात्मक कार्यवाहियों तत्काल बंद की जावे।

2. मंत्रालयिक कर्मचारियों दस्तावेजों के बार-बार जांचों की प्रक्रिया बंद की जावे। जब जिला कलेक्टरों को विगत भर्तियों की जाँच का जिम्मा दिये जाने का नीतिगत निर्णय लिया हुआ है तब पुनः मुख्यालय स्तर से जॉच औचित्यहीन है।

3. सभी विभागों की भांति वित्त विभाग के तय नॉर्मस एवं बजट घोषणा 2025 के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं में मंत्रालयिक संवर्ग का कैडर पुनर्गठन कर पदोन्नति के अवसर उपलब्ध कराये जावे।

4. पंचायतों में लेखों की पारदर्शिता के लिए पंचायत स्तरीय कर्मचारियों की समकक्षता के आधार पर स्वतंत्र कार्य विभाजन तय किया जाकर उसे नियमों में व्यवस्थित किया जावे।

5. पंचायती राज में सर्वप्रथम विभिन्न समकक्ष कर्मचारी संवर्गों की स्टेट पेरिटी मेन्टेन की जावे।