अब नर्मदा नहर के जरिए माही एवं कडाना बांध का पानी सांचौर तक लाने की मांग को लेकर सांसद चौधरी ने लोकसभा में उठाया मुद्दा 

अब नर्मदा नहर के जरिए माही एवं कडाना बांध का पानी सांचौर तक लाने की मांग को लेकर सांसद चौधरी ने लोकसभा में उठाया मुद्दा 

जालोर. चुनावों के समय महत्वाकांक्षी माही परियोजना को लेकर शुरू किए गए प्रयास अब पुनः धीरे धीरे ठंडे बस्ते में जा रहे हैं। माही एवं कडाना बांध का पानी जालौर सिरोही को उपलब्ध कराने को लेकर सांसद लुंबाराम चौधरी ने लोकसभा में बुधवार को मुद्दा उठाया, लेकिन यह नर्मदा कैनाल के जरिए सांचौर तक लाने की मांग है। जो सर्वे कर सीधे तौर पर माही का पानी लाने का प्रयास किया जा रहा था वो अधिक बजट का हवाला देते हुए सरकार ने इनकार कर दिया, इस कारण अब सांसद का कहना है कि सुजलाम सुफलाम को नर्मदा कैनाल से जोड़कर माही का पानी सांचौर लाया जाय और यहां से जालोर-सिरोही को वितरित किया जाय, देखना होगा कि यह मांग कितनी फलीभूत होती है।

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सांसद लुम्बाराम चौधरी ने लोकसभा में कहा कि जालोर और सिरोही दोनों जिला डार्क जोन घोषित है, यहां पेयजल और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं है।

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खोसला कमेटी की रिपोर्ट 01 सितम्बर 1965 के अनुसार गुजरात राजस्थान के बीच बोर्डर पर कडाणा बांध बनाना प्रस्तावित था। उस समय दिनांक 01 अक्टूबर 1966 को राजस्थान एवं गुजरात सरकार के बीच माही जल बंटवारा समझौता में कडाणा बांध का निमार्ण हुआ।

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समझौते के अनुसार गुजरात के खेड़ा जिले को कडाणा बांध से पानी तब तक मिलेगा, जब तक नर्मदा का पानी खेड़ा जिला में नहीं आता है चूंकि अब 2005 नर्मदा का पानी गुजरात के खेड़ा जिले को मिल रहा है तो स्वतः ही समझौते के अनुसार कडाना और माही बांध के पानी का 2/3 भाग राजस्थान के सिरोही जालोर तय हो चुका था। जो समझौता के अनुसार सिरोही जालोर को पानी मिलना था, कडाना बांध का ओवरफ्लो हो कर सुफलान सुजलाम नहर के द्वारा पानी समुद्र मे जा रहा है, वापकॉस कम्पनी गुडगाव द्वारा सर्वे किया गया है, जिसमें बताया गया कि 37 साल में 27 बार ओवरफ्लो होकर 1.30 लाख एमसीएम पानी समुद्र में बहकर बर्बाद हो गया है। सांसद ने कहा कि सुजलाम सुफलाम नहर को सुदृढ़ीकरण कर नर्मदा कैनाल में जोड़ा जाए, जिससे की जालोर सिरोही को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाए।