जनप्रतिनिधियों की बेरुखी और सरकारों की इच्छा शक्ति की कमी से नहीं मिल रहा पानी-रतनसिंह

जनप्रतिनिधियों की बेरुखी और सरकारों की इच्छा शक्ति की कमी से नहीं मिल रहा पानी-रतनसिंह
  • भारतीय किसान संघ ने ज्ञापन सौंप जवाई बांध के गेट खोलने की मांग की
  • 55 फीट के बाद खोले जाए बांध के गेट, जालौर का हक तय हो

जालोर. भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि जवाई बांध अब छलकने को तैयार है इसलिए बांध के गेट खोले जाए और जवाई बांध पर जालोर जिले का हक तय किया जाए ताकि 55 फीट की भराव क्षमता होने के बाद जवाई नदी में पानी छोड़ा जाए। भारतीय किसान के खीमसिंह ने कहा कि हमें नहीं लगता है कि सरकार की मंशा है कि 55 फीट भर जाने के बाद भी बांध के गेट खोले जाए। उन्होंने कहा कि आज हम चेतावनी देने आए हैं और सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तो भुगतने के लिए तैयार रहे।

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उन्होंने कहा कि हमें मजबूरन धरना प्रदर्शन और आंदोलन करने पर उतरना होगा। उन्होंने कहा कि अगर दो तीन दिन में कोई निर्णय नहीं होता है तो आगामी सोमवार को भारतीय किसान संघ बड़ी रैली करेगा उसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है तो आंदोलन करेंगे। खीमसिंह ने कहा कि हम अपनी बात

जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को भी पहुंचा रहे हैं कि बांध से नदी में पानी छोड़ा जाए क्योंकि पूरा भर जाने के बाद एक साथ पानी छोड़ने से जालोर को नुकसान होता है। भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष रतनसिंह कानीवाड़ा ने आरोप लगाया कि हमारे जनप्रतिनिधियों की बेरुखी और सरकारों की इच्छा शक्ति की कमी से पानी नहीं मिल पा रहा है जबकि पानी की कोई कमी नहीं है। हमे तो लगता है कि हमारे जनप्रतिनिधियों की बात को जयपुर में सुना नहीं जाता है।

 दोनों ही पार्टी की सरकारों ने जनता को धोखा देने का काम किया है जबकि प्राकृतिक रूप से जवाई बांध से जवाई नदी में पानी छोड़ने का जालोर का हक है। प्राकृतिक रूप से जालोर का हक है। उन्होंने कहा कि पिछले कांग्रेस सरकार के समय हमारे द्वारा दिए गए धरने के बाद यह बात सामने आई कि जोधपुर के लिए बनी योजना 2280 करोड़ की उसको रिवाइज में डाला है, कुछ पानी जालोर को देने के आदेश हुए थे। इससे पूर्व मलकेश्वर मठ में भारतीय किसान संघ की बैठक आयोजित हुई जिसमें किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि जवाई नदी जालोर जिले की जीवन रेखा है और वर्षा आधारित जवाई बांध पर निर्भर है।

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वर्तमान में जवाई बांध 57 फीट तक भर चुका है ऐसे में 55 फीट के बाद का पानी जवाई नदी में छोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि पाली जिले में वर्तमान में कई बांध है जो पाली को काफी राहत दे सकते हैं। वही पोसालिया नदी पर फाटक लगाकर जो गेट बनाए गए हैं उससे संबंधित गांवों के तालाब भरने के बाद बंद नहीं किए जा रहे हैं जो अब तुरंत प्रभाव से बंद किए जाए। वहीं जोयला डायवर्जन की फाटक को भी बंद किया जाए। इस दौरान गणेशाराम, जगाराम, विक्रम सिंह, जेताराम, जोगाराम, हमीरसिंह, जेठूसिंह, महावीरसिंह, मोहनलाल, भमराराम, तलकाराम, छोगाराम, पदमाराम, चेलाराम समेत बड़ी संख्या में भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि मौजूद थे।