आहोर उपखण्ड क्षेत्र के 50 से अधिक गांवों की फसलें बरसाती पानी से हो गई बेकार... किसानों की पुकार, अब तो सुनो सरकार!

आहोर उपखण्ड क्षेत्र के 50 से अधिक गांवों की फसलें बरसाती पानी से हो गई बेकार... किसानों की पुकार, अब तो सुनो सरकार!

- खेतों में बरसाती पानी भरा होने से मूंग व तिल की फसलें हो गई बर्बाद, किसान गिरदावरी करने की प्रशासन से कर रहे हसन गुहार

दिलीप डूडी, जालोर.

जालोर जिले के आहोर उपखण्ड क्षेत्र में बीते दिनों 6 व 7 सितम्बर को हुई बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है, बरसाती पानी जमा होने के कारण खेतों में खड़ी फसलें तबाह हो गई है, अब किसान प्रशासन से समय पर गिरदावरी करवाने की गुहार लगा रहे है, लेकिन प्रशासनिक स्तर से कोई ठोस सुनवाई अभी तक नहीं हो रही है।

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औपचारिक रूप से विधायक छगनसिंह राजपुरोहित व विपक्ष के नेता सवाराम पटेल ने भी सरकार को पत्र जरूर लिखा है, लेकिन इसका असर अधिकारियों पर कितना कारगर होगा, यह वक्त ही बताएगा, क्योंकि किसानों को वर्ष 2023 के बिपरजॉय तूफान में हुए नुकसान का लाभ भी अभी तक नहीं मिला है। 

पचास से अधिक गांवों के खेतों में जमा हो चुका है पानी

दरअसल, आहोर व भाद्राजून तहसील क्षेत्र के किसान खरीफ सीजन में अक्सर बाजरी, मूंग व तिल जैसी फसलें बोते है, इस बार भी हजारों हेक्टेयर में मूंग व तिल की फसल बोई गई, खेतों में मूंग की अच्छी फसल की संभावना भी जगी, लेकिन 6 व 7 सितम्बर को हुई बारिश से बरसाती पानी की आवक हो गई, जो पाली के पहाड़ी क्षेत्र से पानी आता है वो इन गांवों के खेतों में जमा हो जाता है, इस बार भी भारी मात्रा में पानी जमा हो चुका है। नेशनल हाइवे 325 से ऊपरी क्षेत्र शंखवाली, चांदराई, कंवला, गुड़ा रामा, चूंडा, किंशनगढ़, से लेकर भोरडा, घाणा, बरवा तक करीब 50 से अधिक गांवों के खेतों में यह पानी जमा हो गया है, इस कारण खेतों में खड़ी मूंग व तिल की फसलें बर्बाद हो गई।

इस बार एक फसल लेना भी हो रहा मुश्किल

किसानों ने डीडीटी हिंदी न्यूज पोर्टल को बताया कि इन गांवों के खेतों में अक्सर एक सीजन का लाभ मिलने की संभावना रहती है, लेकिन इस बार उसमें भी आशंका है। यहां खरीफ की फसल नहीं मिलने पर जमा सेवज के जरिए चने की फसल लेते हैं, लेकिन इस बार खेतों में जितना पानी जमा हुआ है, उस लिहाज से चने की फसल लेना भी मुश्किल है, क्योंकि खेतों से जब तक पानी नहीं सूखेगा तब तक चने की बुवाई नहीं की जा सकेगी। 

किसान गिरदावरी की कर रहे हैं मांग

खेतों में अतिवृष्टि से पीड़ित किसान अब प्रशासन को मांग पत्र देकर जल्द गिरदावरी की मांग में जुटे है, ताकि मुआवजा मिल सके, लेकिन गांवों में न तो पर्याप्त पटवारियों की संख्या है और न ही इस पानी में उतरने की व्यवस्था। क्योंकि जिस प्रकार से डिजिटल एप्लीकेशन के जरिये गिरदावरी की व्यवस्था की गई है, उसके अनुसार जिस खसरे में फसल है उसी के भीतर खड़ा रहकर गिरदावरी करनी पड़ती है, ऐसे में खेतों में पानी भरा होने के चलते यह काम भी मुश्किल होता लग रहा है।

इनका कहना है...

खेतों में भारी मात्रा में बरसाती पानी जमा हो गया है, इस कारण मूंग व तिल की फसलें बर्बाद हो गई है, समय पर गिरदावरी हो तो किसानों को कुछ राहत मिल सकेगी। क्योंकि 2023 के बिपरजोय तूफान में हुए नुकसान का क्लेम भी नहीं मिला है, किसानों के साथ कुठाराघात हो रहा है।

- नैनसिंह राजपुरोहित, पूर्व उपप्रधान, आहोर

मैंने जिला कलेक्टर व उपखण्ड अधिकारी से बात की है, खेतों में पानी जमा होने के कारण कुछ दिक्कत आ रही है। हम प्रयास कर रहे है कि किसानों को नुकसान की भरपाई मिल सके।

-छगनसिंह राजपुरोहित, विधायक, आहोर