दीपावली पर करें ये पूजन विधि, बरसेगा धन और समृद्धि

देवेन्द्रराज सुथार / जालोर. दीपों का पर्व दीपावली भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि उजाले, समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करने पर घर में कभी धन की कमी नहीं रहती और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। कार्तिक मास की अमावस्या की रात को पूरे भारत में दीपावली मनाई जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देव की आराधना कर घर में धन-धान्य और सौभाग्य की कामना की जाती है।
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दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन का विशेष विधान शास्त्रों में बताया गया है। इसे सही तरीके से किया जाए तो देवी लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और घर में स्थायी रूप से धन का प्रवाह बना रहता है। आइए जानते हैं इस पर्व पर लक्ष्मी पूजन की परंपरा, विधि और उसका महत्व विस्तार से।
घर की शुद्धि और सजावट का महत्व
दीपावली से कुछ दिन पहले से ही घरों की सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्वच्छ और सुगंधित वातावरण में ही मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए घर के कोने-कोने की सफाई की जाती है। पुराने और अनुपयोगी सामानों को हटा कर सकारात्मक ऊर्जा के लिए स्थान बनाया जाता है। दीवारों को धोया या रंग-रोगन किया जाता है।
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पूजा वाले स्थान को विशेष रूप से सजाया जाता है। दरवाजे पर आम के पत्तों और गेंदे के फूलों का तोरण बांधा जाता है, जिससे शुभता आती है। मुख्य द्वार पर रंगोली बनाना भी परंपरा का हिस्सा है। कहा जाता है कि रंगोली मां लक्ष्मी को आकर्षित करती है और घर में खुशहाली का मार्ग खोलती है। शाम को तेल के दीपक और मोमबत्तियों से पूरा घर रोशन किया जाता है।
शुभ मुहूर्त और पूजा का समय
दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन सायंकाल के समय किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की पूजा सर्वोत्तम मानी जाती है। इस समय अमावस्या तिथि और स्थिर लग्न का योग विशेष फलदायी होता है। लक्ष्मी पूजन के समय घर के सभी सदस्य एकत्र होकर सामूहिक रूप से आराधना करते हैं।
पूजन की तैयारी और सामग्री
लक्ष्मी पूजन के लिए पहले से कुछ आवश्यक सामग्री एकत्र की जाती है। इनमें मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति, पूजन चौकी, लाल कपड़ा, कलश, नारियल, आम के पत्ते, रोली, हल्दी, चावल, सुपारी, लौंग, इलायची, सिंदूर, अगरबत्ती, दीपक, कपूर, मिठाई, फल, सूखे मेवे और धन के प्रतीक के रूप में सिक्के शामिल होते हैं। पूजा में चांदी या तांबे के सिक्कों का विशेष महत्व होता है। पूजा स्थान पर एक स्वच्छ चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर देवी-देवताओं की स्थापना की जाती है।
पूजा विधि
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है क्योंकि वे विघ्नहर्ता माने जाते हैं। गणेश जी को रोली, चावल, फूल और मिठाई अर्पित कर उनके आशीर्वाद से पूजा आरंभ की जाती है। इसके बाद मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने कलश स्थापित किया जाता है। कलश को पानी से भरकर उस पर आम के पत्ते लगाए जाते हैं और ऊपर नारियल रखा जाता है। इसे शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
इसके बाद मां लक्ष्मी की मूर्ति को जल, दूध और गंगाजल से स्नान कराया जाता है। स्नान के बाद उन्हें लाल वस्त्र पहनाए जाते हैं और पुष्पमाला से सजाया जाता है। देवी को हल्दी-कुमकुम, अक्षत, फूल, मिठाई, पान, सुपारी और सिक्के अर्पित किए जाते हैं। फिर दीपक और धूप जलाकर आरती की जाती है। लक्ष्मी जी के साथ कुबेर देव की भी पूजा की जाती है ताकि धन की आवक के साथ उसका संरक्षण भी हो।
मंत्रोच्चारण और आरती
पूजा के दौरान मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। सामान्यत: “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप 108 बार किया जाता है। आरती के समय पूरे परिवार को एक साथ शामिल होना चाहिए। सामूहिक आरती में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। दीपक की लौ को देवी के सामने घुमाकर आरती करने से घर का वातावरण पवित्र हो जाता है।
धन की स्थिरता के उपाय
दीपावली पर कुछ विशेष उपाय भी शास्त्रों में बताए गए हैं जिनसे धन की स्थिरता बनी रहती है। पूजा के बाद लक्ष्मी जी के चरणों के प्रतीकस्वरूप चांदी के सिक्के या मुद्रा को तिजोरी में रखा जाता है। इसे पूरे वर्ष शुभ माना जाता है। घर के मुख्य द्वार पर दोनों ओर दीपक जलाकर पूरी रात जलने देना भी शुभ होता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है।
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एक और परंपरा में पूजा की थाली में 11 या 21 कौड़ियां रखी जाती हैं जिन्हें लक्ष्मी जी को अर्पित करने के बाद पीले कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दिया जाता है। यह धन वृद्धि और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
लक्ष्मी पूजन में सावधानियां
पूजा करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि वातावरण शांत और पवित्र हो। मोबाइल, टीवी या कोई अन्य शोरगुल पूजन के दौरान न हो। पूजा स्थल पर किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या गंदगी नहीं होनी चाहिए। देवी को प्रसन्न करने के लिए साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और मन में सकारात्मक भाव रखें। पूजा के बाद प्रसाद को सभी घरवालों में बांटना शुभ होता है।
दीपावली और सकारात्मक ऊर्जा
दीपावली सिर्फ धन प्राप्ति का पर्व नहीं, बल्कि उजाले और सकारात्मकता का प्रतीक भी है। दीपक जलाना न केवल देवी लक्ष्मी का स्वागत है, बल्कि अंधकार और अज्ञानता को दूर कर ज्ञान और समृद्धि का मार्ग खोलना भी है। इस दिन जलाए गए दीपक घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं। माना जाता है कि घर में रोशनी और पवित्रता बनाए रखने से पूरे वर्ष सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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दीपावली के दिन यदि श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा की जाए तो मां लक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होती हैं। घर में धन की आवक बनी रहती है और जीवन में प्रगति का मार्ग खुलता है। यह पर्व हमें यह भी सिखाता है कि समृद्धि केवल धन से नहीं, बल्कि अच्छे कर्मों और पवित्र विचारों से भी आती है।
दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन का वास्तविक उद्देश्य केवल धन की प्राप्ति नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक समृद्धि भी है। जब घर में साफ-सुथरा वातावरण, सकारात्मक सोच और भक्तिभाव होता है तो देवी लक्ष्मी स्वयं वहां वास करती हैं। इस दिन की पूजा को पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से करना ही धन की स्थिरता और सुख-समृद्धि की कुंजी है।
इस प्रकार, दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन हमारे जीवन में सिर्फ भौतिक समृद्धि ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संतुलन भी लाता है। दीपों की रौशनी में जब परिवार एकत्र होकर मां लक्ष्मी का आह्वान करता है, तो वह क्षण अपने आप में अत्यंत पवित्र और शुभ होता है। यही कारण है कि पीढ़ियों से यह परंपरा भारतीय समाज में समृद्धि का प्रतीक बनी हुई है।