जालोर किले तक अब पहुंच होगी आसान, 6 किलोमीटर लंबी और पौने आठ मीटर चौड़ी बनेगी सड़क, सैद्धान्तिक स्वीकृति मिली, डिफरेंस राशि जमा होते ही काम होगा शुरू

जालोर किले तक अब पहुंच होगी आसान, 6 किलोमीटर लंबी और पौने आठ मीटर चौड़ी बनेगी सड़क, सैद्धान्तिक स्वीकृति मिली, डिफरेंस राशि जमा होते ही काम होगा शुरू
  • पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

दिलीप डूडी, जालोर. पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रयास में जुटी राज्य सरकार के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। अब ऊंची पहाड़ी पर स्थित जालोर किले तक पहुंचना आसान होगा। किले तक सड़क निर्माण को लेकर वन मंत्रालय की ओर से सैद्धान्तिक स्वीकृति मिल गई है। अब पीडब्ल्यूडी की ओर से डिफरेंस अमाउंट जमा करवाते ही सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया जा सकेगा। इसमें पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन की पूर्ण पालना करते हुए कार्य करना होगा। इस किले तक पहुंचने के लिए झरनेश्वर मन्दिर रोड से लेकर किले तक करीब छह किलोमीटर लम्बी तथा 7.7 मीटर चौड़ी सड़क बनेगी। इसके लिए 5.45 हैक्टेयर जमीन वन विभाग ने सुपुर्द की है। इस जमीन के बदले वन विभाग को राजस्व विभाग की ओर से आहोर ब्लॉक के छीपरवाड़ा गांव की सरकारी भूमि सौंपी जाएगी, इसकी प्रक्रिया भी कलेक्ट्रेट से पूर्ण हो चुकी है।

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दरअसल, राज्य बजट 2023 में इस सड़क निर्माण के लिए 27 करोड़ रुपए की स्वीकृति हुई थी, उस दौरान नगरपरिषद को कार्यकारी एजेंसी बनाया गया था। एजेंसी की ओर से जो सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया था, वो निर्धारित तय स्थान पर नहीं था। वन-विभाग ने भौतिक सत्यापन किया तो सामने आया कि सड़क के एलायमेंट में परिवर्तन है। इस पर कार्य रुकवाया गया था। उसके बाद नए सिरे से सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को कार्यकारी एजेंसी बनाते हुए प्रक्रिया शुरू की। अब नए सिरे से प्रक्रिया शुरू होने से लेबर चार्ज व अवाप्ति की राशि में बदलाव हो गया है। यह डिफरेंस अमाउंट पीडब्ल्यूडी की ओर से वन विभाग को जमा करवाया जाना है, इसमें से कुछ राशि पीडब्ल्यूडी ने पहले ही जमा करवा दी है। प्रथम चरण की सैद्धान्तिक स्वीकृति मिलने के बाद यह डिफरेंस अमाउंट जमा करवाकर कार्य शुरू किया जा सकेगा।

पर्यटन सर्किट से हो सकेगा जुड़ाव 

जालोर पहाड़ी पर ऐतिहासिक स्वर्णगिरि दुर्ग है, लेकिन किले तक आमजन इसलिए नहीं पहुंच पाते कि वहां के लिए कोई रास्ता नहीं है, सीढियां भी इतनी विकट है जिससे आमजन के लिए जाना आसान नहीं रहता। इस कारण सड़क की मांग लम्बे समय से की जा रही थी। मारवाड़-गोडवाड़ एक पर्यटन सर्किट है, जालोर किले तक सड़क बनने से इस सर्किट में इसका जुड़ाव भी होगा और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की संभावना रहेगी। साथ ही गुजरात, माउंट आबू, जैसलमेर, सुंधाजी, जोधपुर पहुंचने वाले पर्यटक जालोर किले का ऐतिहासिक दृश्य भी देख सकेंगे।

इनका कहना है... 

पूर्व में कार्य शुरुआत के दौरान कार्यकारी एजेंसी की ओर से निर्धारित एलायमेंट में परिवर्तन कर दिया था, जिस कारण विभाग ने कार्य रुकवाया था। अब नए सिरे से सैद्धान्तिक स्वीकृति मिली है। अब डिफरेंस राशि जमा होते ही काम शुरू कर देंगे। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

-जयदेवसिंह चारण, उप वन संरक्षक, जालोर